Top 10 Bollywood Songs With Best lyrics Of All Time!
Songs have always been an integral part of not only Bollywood but of whole Indian culture as well. The beauty of a song is that there are many artists who let their arts come together to form a sangam. However in the present scenario even after having such a pivotal role in a song Lyricists are most under rated and under appreciated in music industries. So here is one little attempt to pay them tribute!
10) "Firse Ud Chala", Rockstar (2011)
Lyrics:
फिर से उड़ चला
कर धुंआ धुंआ तन हर बदली चली आती है छूने
मिट्टी जैसे सपने ये कित्ता भी
कभी डाल-डाल, कभी पात-पात
उड़ के छोड़ा है जहां नीचे
मैं तुम्हारे अब हूँ हवाले हवा
दूर-दूर लोग-बाग़ मीलों दूर ये वादियाँ
कर धुंआ धुंआ तन हर बदली चली आती है छूने
और कोई बदली कभी कहीं कर दे तन गीला ये है भी ना हो
किसी मंज़र पर मैं रुका नहीं
कभी खुद से भी मैं मिला नहीं
ये गिला तो है मैं खफ़ा नहीं
शहर एक से, गाँव एक से
लोग एक से, नाम एक
फिर से उड़ चला
मिट्टी जैसे सपने ये कित्ता भी
पलकों से झाड़ो फिर आ जाते हैं
इत्ते सारे सपने क्या कहूँ
किस तरह से मैंने तोड़े हैं छोड़े हैं क्यूँ
फिर साथ चले, मुझे ले के उड़े, ये क्यूँ
कभी डाल-डाल, कभी पात-पात
मेरे साथ-साथ, फिरे दर-दर ये
कभी सहरा, कभी सावन
बनूँ रावण क्यूँ मर-मर के
कभी डाल-डाल, कभी पात-पात
कभी दिन है रात, कभी दिन-दिन है
क्या सच है, क्या माया है दाता
इधर-उधर तितर-बितर
क्या है पता हवा लिए जाए तेरी ओर
खींचे तेरी यादें तेरी ओर
रंग बिरंगे वहमों में मैं उड़ता फिरूं
रंग बिरंगे वहमों में मैं उड़ता फिरूं
Lyricist: Irshad kamil
You can listen this song here:
9) "Papa", Ugly (2014)
Lyrics:
क्या वहाँ दिन है अभी भी
पापा तुम रहते जहां हो
औस बन के मैं गिरूंगी
देखना तुम आसमां हो
टीन के टूटे कनस्तर से ज़रा बूंदी चुराकर
भागती है कोई लड़की
क्या तुम्हें अब भी चिढ़ाकर
फर्श अब भी थाम ऊँगली
साथ चलता है क्यों पापा ?
भाग के देखो रे आगन
भी मचलता है क्या पापा ?
हो हो हो..आग की भी छाँव है क्या ?
चींटियों के गाँव है क्या ?
जिस कुँए में हम गिरे हैं
उस कुँए में नाव है क्या ?
क्या तुम्हें कहता है कोई कि
चलो अब खा भी लो
डिब्बियों में धुप भर कर
कोई घर लाता है क्या ?
चिमनियों के इस धुएं में मेरे दो खरगोश थे
वे कभी आवाज़ दे तो कोई सुन पाता है क्या ?
गिनतियाँ सब लाख में है
हाथ लेकिन राख में है
चाँद अब भी गोल है क्या ?
जश्न अब भी ढोल है क्या ?
पी रहे हैं शर्बतें क्या ?
क्या वहाँ सब होश में है
या की माथे सी रहे हैं
दो मिनट अफ़सोस में है
पापा तुम रहते जहां हो
औस बन के मैं गिरूंगी
देखना तुम आसमां हो
टीन के टूटे कनस्तर से ज़रा बूंदी चुराकर
भागती है कोई लड़की
क्या तुम्हें अब भी चिढ़ाकर
फर्श अब भी थाम ऊँगली
साथ चलता है क्यों पापा ?
भाग के देखो रे आगन
भी मचलता है क्या पापा ?
हो हो हो..आग की भी छाँव है क्या ?
चींटियों के गाँव है क्या ?
जिस कुँए में हम गिरे हैं
उस कुँए में नाव है क्या ?
क्या तुम्हें कहता है कोई कि
चलो अब खा भी लो
डिब्बियों में धुप भर कर
कोई घर लाता है क्या ?
चिमनियों के इस धुएं में मेरे दो खरगोश थे
वे कभी आवाज़ दे तो कोई सुन पाता है क्या ?
गिनतियाँ सब लाख में है
हाथ लेकिन राख में है
चाँद अब भी गोल है क्या ?
जश्न अब भी ढोल है क्या ?
पी रहे हैं शर्बतें क्या ?
क्या वहाँ सब होश में है
या की माथे सी रहे हैं
दो मिनट अफ़सोस में है
Lyricist: Gaurav Solanki
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8) "Wahan Kaun hai tera",Guide (1965)
Lyrics:
वहाँ कौन है तेरा
मुसाफिर जाएगा कहाँ
दम ले ले घड़ी भर
ये छइयाँ पाएगा कहाँ
वहाँ कौन है तेरा
बीत गए दिन, प्यार के पल-छीन
सपना बनी ये रातें
भूल गए वो, तू भी भुला दे
प्यार की वो मुलाकातें
सब दूर आंधेरा
मुसाफिर जाएगा कहाँ...
कोई भी तेरी, राह ने देखे
नैन बिछाए न कोई
दर्द से तेरे, कोई ना तड़पा
आँख किसी की ना रोई
कहे किसको तू मेरा
मुसाफिर जाएगा कहाँ...
तूने तो सबको, राह बताई
तू अपनी मंज़िल क्यूँ भूला
सुलझा के राजा, औरों की उलझन
क्यूँ कच्चे धागों में झूला
क्यूँ नाचे सपेरा
मुसाफिर जाएगा कहाँ...
कहते हैं ज्ञानी, दुनिया है फानी
पानी पे लिखी लिखाई
है सबकी देखी, है सबकी जानी
हाथ किसी के ना आनी
कुछ तेरा ना मेरा
मुसाफिर जाएगा कहाँ...
मुसाफिर जाएगा कहाँ
दम ले ले घड़ी भर
ये छइयाँ पाएगा कहाँ
वहाँ कौन है तेरा
बीत गए दिन, प्यार के पल-छीन
सपना बनी ये रातें
भूल गए वो, तू भी भुला दे
प्यार की वो मुलाकातें
सब दूर आंधेरा
मुसाफिर जाएगा कहाँ...
कोई भी तेरी, राह ने देखे
नैन बिछाए न कोई
दर्द से तेरे, कोई ना तड़पा
आँख किसी की ना रोई
कहे किसको तू मेरा
मुसाफिर जाएगा कहाँ...
तूने तो सबको, राह बताई
तू अपनी मंज़िल क्यूँ भूला
सुलझा के राजा, औरों की उलझन
क्यूँ कच्चे धागों में झूला
क्यूँ नाचे सपेरा
मुसाफिर जाएगा कहाँ...
कहते हैं ज्ञानी, दुनिया है फानी
पानी पे लिखी लिखाई
है सबकी देखी, है सबकी जानी
हाथ किसी के ना आनी
कुछ तेरा ना मेरा
मुसाफिर जाएगा कहाँ...
Lyricist: Shailendra
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7) "Tujhse naaraz nahi Zindagi", Masoom (1983)
Lyrics:
तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी
हैरान हूँ मैं
तेरे मासूम सवालों से
परेशान हूँ मैं
जीने के लिए सोचा ही नहीं
दर्द संभालने होंगे
मुस्कुराये तो मुस्कुराने के
क़र्ज़ उतारने होंगे
मुस्कुराऊं कभी तो लगता है
जैसे होंठों पे क़र्ज़ रखा है
तुझसे...
ज़िन्दगी तेरे गम ने हमें
रिश्ते नए समझाए
मिले जो हमें धूप में मिले
छाँव के ठण्डे साये
तुझसे...
आज अगर भर आई है
बूंदे बरस जाएगी
कल क्या पता किनके लिए
आँखें तरस जाएगी
जाने कब गुम हुआ, कहाँ खोया
इक आंसू छुपा के रखा था
तुझसे...
हैरान हूँ मैं
तेरे मासूम सवालों से
परेशान हूँ मैं
जीने के लिए सोचा ही नहीं
दर्द संभालने होंगे
मुस्कुराये तो मुस्कुराने के
क़र्ज़ उतारने होंगे
मुस्कुराऊं कभी तो लगता है
जैसे होंठों पे क़र्ज़ रखा है
तुझसे...
ज़िन्दगी तेरे गम ने हमें
रिश्ते नए समझाए
मिले जो हमें धूप में मिले
छाँव के ठण्डे साये
तुझसे...
आज अगर भर आई है
बूंदे बरस जाएगी
कल क्या पता किनके लिए
आँखें तरस जाएगी
जाने कब गुम हुआ, कहाँ खोया
इक आंसू छुपा के रखा था
तुझसे...
Lyricist: Gulzar
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6)"Sheher", Gulaal (2009)
Lyrics:
एक बखत की बात बताएँ, एक बखत की
जब शहर हमारो सो गयो थो, रात गजब की
चहूँ ओर सब ओर दिशा से लाली छाई रे
जुगनी नाचे चुनर ओढ़े खून नहाई रे
सब ओरो गुल्लाल पुत गयो बिपदा छाई रे
जिस रात गगन से खून की बारिश आई रे
जिस रात सहर में खून की बारिश आई रे
सराबोर हो गयो सहर और सराबोर हो गयी धरा
सराबोर हो गयो रे जत्था इंसानों का पड़ा-पड़ा
सभी जगत ये पूछ्या था जब इतना सब कुछ हो रयो थो
तो सहर हमारो काईं-बाईसा आँख मूँद कै सो रयो थो
तो सहर ये बोल्यो नींद गजब की ऐसी आई रे
जिस रात गगन...
सन्नाटा वीराना खामोशी अनजानी
जिंदगी लेती है करवटें तूफानी
घिरते हैं साए घनेरे से
रूखे बालों को बिखेरे से
बढ़ते हैं अँधेरे पिशाचों से
कापें है जी उनके नाचों से
कहीं पे वो जूतों की खटखट है
कहीं पे अलावों की चटपट है
कहीं पे है झिंगुर की आवाजें
कहीं पे वो नलके की टप-टप है
कहीं पे वो खाली सी खिड़की है
कहीं वो अँधेरी सी चिमनी है
कहीं हिलते पेड़ों का जत्था है
कहीं कुछ मुंडेरों पे रखा है
सुनसान गली के नुक्कड़ पर जो कोई कुत्ता चीख-चीख कर रोता है
जब लैंप पोस्ट की गंदली पीली घुप्प रौशनी में कुछ-कुछ सा होता है
जब कोई साया खुद को थोड़ा बचा-बचाकर गुम सायों में खोता है
जब पुल के खम्बों को गाड़ी का गरम उजाला धीमे-धीमे धोता है
तब शहर हमारा सोता है..
जब शहर हमारा सोता है तो
मालूम तुमको हाँ क्या-क्या क्या होता है
इधर जागती है लाशें
जिंदा हो मुर्दा उधर ज़िन्दगी खोता है
इधर चीखती है एक हव्वा
खैराली उस अस्पताल में बिफरी सी
हाथ में उसके अगले ही पल
गरम मांस का नरम लोथड़ा होता है
इधर उगी है तकरारें जिस्मों के झटपट लेन-देन में ऊँची सी
उधर घाव से रिसते खूं को दूर गुज़रती आँखें देखें रूखी सी
लेकिन उसको लेके रंग-बिरंगे महलों में गुंजाईश होती है
नशे में डूबे सेहन से खूंखार चुटकुलों की पैदाइश होती है
अधनंगे जिस्मों की देखो लिपी-पुती सी लगी नुमाइश होती है
लार टपकते चेहरों को कुछ शैतानी करने की ख्वाहिश होती है
वो पूछे हैं हैरां होकर, ऐसा सब कुछ होता है कब
वो बतलाओ तो उनको ऐसा तब-तब, तब-तब होता है
जब शहर हमारा...
जब शहर हमारो सो गयो थो, रात गजब की
चहूँ ओर सब ओर दिशा से लाली छाई रे
जुगनी नाचे चुनर ओढ़े खून नहाई रे
सब ओरो गुल्लाल पुत गयो बिपदा छाई रे
जिस रात गगन से खून की बारिश आई रे
जिस रात सहर में खून की बारिश आई रे
सराबोर हो गयो सहर और सराबोर हो गयी धरा
सराबोर हो गयो रे जत्था इंसानों का पड़ा-पड़ा
सभी जगत ये पूछ्या था जब इतना सब कुछ हो रयो थो
तो सहर हमारो काईं-बाईसा आँख मूँद कै सो रयो थो
तो सहर ये बोल्यो नींद गजब की ऐसी आई रे
जिस रात गगन...
सन्नाटा वीराना खामोशी अनजानी
जिंदगी लेती है करवटें तूफानी
घिरते हैं साए घनेरे से
रूखे बालों को बिखेरे से
बढ़ते हैं अँधेरे पिशाचों से
कापें है जी उनके नाचों से
कहीं पे वो जूतों की खटखट है
कहीं पे अलावों की चटपट है
कहीं पे है झिंगुर की आवाजें
कहीं पे वो नलके की टप-टप है
कहीं पे वो खाली सी खिड़की है
कहीं वो अँधेरी सी चिमनी है
कहीं हिलते पेड़ों का जत्था है
कहीं कुछ मुंडेरों पे रखा है
सुनसान गली के नुक्कड़ पर जो कोई कुत्ता चीख-चीख कर रोता है
जब लैंप पोस्ट की गंदली पीली घुप्प रौशनी में कुछ-कुछ सा होता है
जब कोई साया खुद को थोड़ा बचा-बचाकर गुम सायों में खोता है
जब पुल के खम्बों को गाड़ी का गरम उजाला धीमे-धीमे धोता है
तब शहर हमारा सोता है..
जब शहर हमारा सोता है तो
मालूम तुमको हाँ क्या-क्या क्या होता है
इधर जागती है लाशें
जिंदा हो मुर्दा उधर ज़िन्दगी खोता है
इधर चीखती है एक हव्वा
खैराली उस अस्पताल में बिफरी सी
हाथ में उसके अगले ही पल
गरम मांस का नरम लोथड़ा होता है
इधर उगी है तकरारें जिस्मों के झटपट लेन-देन में ऊँची सी
उधर घाव से रिसते खूं को दूर गुज़रती आँखें देखें रूखी सी
लेकिन उसको लेके रंग-बिरंगे महलों में गुंजाईश होती है
नशे में डूबे सेहन से खूंखार चुटकुलों की पैदाइश होती है
अधनंगे जिस्मों की देखो लिपी-पुती सी लगी नुमाइश होती है
लार टपकते चेहरों को कुछ शैतानी करने की ख्वाहिश होती है
वो पूछे हैं हैरां होकर, ऐसा सब कुछ होता है कब
वो बतलाओ तो उनको ऐसा तब-तब, तब-तब होता है
जब शहर हमारा...
Lyricist: Piyush Mishra
5) "Kahin Door Jab Din Dhal Jaaye",Anand (1971)
Lyrics:
कहीं दूर जब दिन ढल जाये
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आये
मेरे ख्यालों के आँगन में
कोई सपनों के दीप जलाए
कभी यूँ ही जब हुई बोझल साँसें
भर आईं बैठे-बैठे जब यूँ ही आँखें
तभी मचल के प्यार से चल के
छुए कोई मुझे पर नज़र न आये
कहीं दूर जब दिन ढल जाये...
कहीं तो ये दिल कभी मिल नहीं पाते
कहीं पे निकल आये जन्मों के नाते
है मीठी उलझन बैरी अपना मन
अपना ही हो के सहे दर्द पराये
कहीं दूर जब दिन ढल जाये...
दिल जाने मेरे सारे भेद ये गहरे
खो गये कैसे मेरे सपने सुनहरे
ये मेरे सपने, यही तो हैं अपने
मुझसे जुदा न होंगे इनके ये साये
कहीं दूर जब दिन ढल जाये...
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आये
मेरे ख्यालों के आँगन में
कोई सपनों के दीप जलाए
कभी यूँ ही जब हुई बोझल साँसें
भर आईं बैठे-बैठे जब यूँ ही आँखें
तभी मचल के प्यार से चल के
छुए कोई मुझे पर नज़र न आये
कहीं दूर जब दिन ढल जाये...
कहीं तो ये दिल कभी मिल नहीं पाते
कहीं पे निकल आये जन्मों के नाते
है मीठी उलझन बैरी अपना मन
अपना ही हो के सहे दर्द पराये
कहीं दूर जब दिन ढल जाये...
दिल जाने मेरे सारे भेद ये गहरे
खो गये कैसे मेरे सपने सुनहरे
ये मेरे सपने, यही तो हैं अपने
मुझसे जुदा न होंगे इनके ये साये
कहीं दूर जब दिन ढल जाये...
Lyricist: Yogesh
You can listen this song here:
4)"Rangeela Re", Prem Pujari (1970)
Lyrics:
रंगीला रे, तेरे रँग में
यूँ रँगा है मेरा मन
छलिया रे, ना बुझे है
किसी जल से ये जलन
ओ रंगीला रे...
पलकों के झूले से सपनों की डोरी
प्यार ने बाँधी जो तूने वो तोड़ी
खेल ये कैसा रे, कैसा रे साथी
दीया तो झूमें है, रोये है बाती
कहीं भी जाये रे, रोये या गाये रे
चैन न पाये रे हिया
वाह रे प्यार, वाह रे वाह
रंगीला रे तेरे रंग में...
दुःख मेरा दुल्हा है, बिरहा है डोली
आँसू की साड़ी है, आहों की चोली
आग मैं पियूँ रे, जैसे हो पानी
नारी दिवानी हूँ, पीड़ा की रानी
मनवा ये जले है, जग सारा छले है
साँस क्यों चले है पिया
वाह रे प्यार, वाह रे वाह
रंगीला रे तेरे रंग में...
मैंने तो सींची रे, तेरी ये राहें
बाहों में तेरी क्यूँ औरों की बाहें
कैसे तू भूला वो, फूलों सी रातें
समझी जब आँखों ने आँखों की बातें
गाँव भर छूटा रे, सपना हर टूटा रे
फिर भी तू रूठा रे पिया
वाह रे प्यार, वाह रे वाह
रंगीला रे तेरे रंग में...
यूँ रँगा है मेरा मन
छलिया रे, ना बुझे है
किसी जल से ये जलन
ओ रंगीला रे...
पलकों के झूले से सपनों की डोरी
प्यार ने बाँधी जो तूने वो तोड़ी
खेल ये कैसा रे, कैसा रे साथी
दीया तो झूमें है, रोये है बाती
कहीं भी जाये रे, रोये या गाये रे
चैन न पाये रे हिया
वाह रे प्यार, वाह रे वाह
रंगीला रे तेरे रंग में...
दुःख मेरा दुल्हा है, बिरहा है डोली
आँसू की साड़ी है, आहों की चोली
आग मैं पियूँ रे, जैसे हो पानी
नारी दिवानी हूँ, पीड़ा की रानी
मनवा ये जले है, जग सारा छले है
साँस क्यों चले है पिया
वाह रे प्यार, वाह रे वाह
रंगीला रे तेरे रंग में...
मैंने तो सींची रे, तेरी ये राहें
बाहों में तेरी क्यूँ औरों की बाहें
कैसे तू भूला वो, फूलों सी रातें
समझी जब आँखों ने आँखों की बातें
गाँव भर छूटा रे, सपना हर टूटा रे
फिर भी तू रूठा रे पिया
वाह रे प्यार, वाह रे वाह
रंगीला रे तेरे रंग में...
Lyricist: Gopal Das Neeraj
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3) "Jaane Vo Kaise Log the",Pyaasa (1965)
Lyrics:
जाने वो कैसे लोग थे जिनके प्यार को प्यार मिला
हमने तो जब कलियाँ माँगी काँटों का हार मिला
खुशियों की मंज़िल ढूँढी तो ग़म की गर्द मिली
चाहत के नग़मे चाहे तो आहें सर्द मिली
बिछड़ गया हर साथी देकर पल दो पल का साथ
किसको फ़ुरसत है जो थामे दीवानों का हाथ
हमको अपना साया तक अक्सर बेज़ार मिला
हमने तो जब...
इसको ही जीना कहते हैं तो यूँ ही जी लेंगे
उफ़ न करेंगे लब सी लेंगे आँसू पी लेंगे
ग़म से अब घबराना कैसा, ग़म सौ बार मिला
हमने तो जब...
हमने तो जब कलियाँ माँगी काँटों का हार मिला
खुशियों की मंज़िल ढूँढी तो ग़म की गर्द मिली
चाहत के नग़मे चाहे तो आहें सर्द मिली
दिल के बोझ को दूना कर गया जो ग़मखार मिला
हमने तो जब...बिछड़ गया हर साथी देकर पल दो पल का साथ
किसको फ़ुरसत है जो थामे दीवानों का हाथ
हमको अपना साया तक अक्सर बेज़ार मिला
हमने तो जब...
इसको ही जीना कहते हैं तो यूँ ही जी लेंगे
उफ़ न करेंगे लब सी लेंगे आँसू पी लेंगे
ग़म से अब घबराना कैसा, ग़म सौ बार मिला
हमने तो जब...
Lyricist: Sahir Ludhianvi
You can listen this song here:
2) "Karvan Guzar Gaya", Nayi Umar ki Nayi fasal (1966)
Lyrics:
स्वप्न झरे फूल से,
मीत चुभे शूल से,
लुट गये सिंगार सभी बाग़ के बबूल से,
और हम खड़ेखड़े बहार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया, गुबार देखते रहे!
नींद भी खुली न थी कि हाय धूप ढल गई,
पाँव जब तलक उठे कि ज़िन्दगी फिसल गई,
पातपात झर गये कि शाख़शाख़ जल गई,
चाह तो निकल सकी न, पर उमर निकल गई,
गीत अश्क बन गए,
छंद हो दफन गए,
साथ के सभी दिऐ धुआँधुआँ पहन गये,
और हम झुकेझुके,
मोड़ पर रुकेरुके
उम्र के चढ़ाव का उतार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया, गुबार देखते रहे।
क्या शबाब था कि फूलफूल प्यार कर उठा,
क्या सुरूप था कि देख आइना सिहर उठा,
इस तरफ ज़मीन उठी तो आसमान उधर उठा,
थाम कर जिगर उठा कि जो मिला नज़र उठा,
एक दिन मगर यहाँ,
ऐसी कुछ हवा चली,
लुट गयी कलीकली कि घुट गयी गलीगली,
और हम लुटेलुटे,
वक्त से पिटेपिटे,
साँस की शराब का खुमार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया, गुबार देखते रहे।
हाथ थे मिले कि जुल्फ चाँद की सँवार दूँ,
होठ थे खुले कि हर बहार को पुकार दूँ,
दर्द था दिया गया कि हर दुखी को प्यार दूँ,
और साँस यूँ कि स्वर्ग भूमी पर उतार दूँ,
हो सका न कुछ मगर,
शाम बन गई सहर,
वह उठी लहर कि दह गये किले बिखरबिखर,
और हम डरेडरे,
नीर नयन में भरे,
ओढ़कर कफ़न, पड़े मज़ार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया, गुबार देखते रहे!
माँग भर चली कि एक, जब नई नई किरन,
ढोलकें धुमुक उठीं, ठुमक उठे चरनचरन,
शोर मच गया कि लो चली दुल्हन, चली दुल्हन,
गाँव सब उमड़ पड़ा, बहक उठे नयननयन,
पर तभी ज़हर भरी,
गाज एक वह गिरी,
पुँछ गया सिंदूर तारतार हुई चूनरी,
और हम अजानसे,
दूर के मकान से,
पालकी लिये हुए कहार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया, गुबार देखते रहे।
मीत चुभे शूल से,
लुट गये सिंगार सभी बाग़ के बबूल से,
और हम खड़ेखड़े बहार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया, गुबार देखते रहे!
नींद भी खुली न थी कि हाय धूप ढल गई,
पाँव जब तलक उठे कि ज़िन्दगी फिसल गई,
पातपात झर गये कि शाख़शाख़ जल गई,
चाह तो निकल सकी न, पर उमर निकल गई,
गीत अश्क बन गए,
छंद हो दफन गए,
साथ के सभी दिऐ धुआँधुआँ पहन गये,
और हम झुकेझुके,
मोड़ पर रुकेरुके
उम्र के चढ़ाव का उतार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया, गुबार देखते रहे।
क्या शबाब था कि फूलफूल प्यार कर उठा,
क्या सुरूप था कि देख आइना सिहर उठा,
इस तरफ ज़मीन उठी तो आसमान उधर उठा,
थाम कर जिगर उठा कि जो मिला नज़र उठा,
एक दिन मगर यहाँ,
ऐसी कुछ हवा चली,
लुट गयी कलीकली कि घुट गयी गलीगली,
और हम लुटेलुटे,
वक्त से पिटेपिटे,
साँस की शराब का खुमार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया, गुबार देखते रहे।
हाथ थे मिले कि जुल्फ चाँद की सँवार दूँ,
होठ थे खुले कि हर बहार को पुकार दूँ,
दर्द था दिया गया कि हर दुखी को प्यार दूँ,
और साँस यूँ कि स्वर्ग भूमी पर उतार दूँ,
हो सका न कुछ मगर,
शाम बन गई सहर,
वह उठी लहर कि दह गये किले बिखरबिखर,
और हम डरेडरे,
नीर नयन में भरे,
ओढ़कर कफ़न, पड़े मज़ार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया, गुबार देखते रहे!
माँग भर चली कि एक, जब नई नई किरन,
ढोलकें धुमुक उठीं, ठुमक उठे चरनचरन,
शोर मच गया कि लो चली दुल्हन, चली दुल्हन,
गाँव सब उमड़ पड़ा, बहक उठे नयननयन,
पर तभी ज़हर भरी,
गाज एक वह गिरी,
पुँछ गया सिंदूर तारतार हुई चूनरी,
और हम अजानसे,
दूर के मकान से,
पालकी लिये हुए कहार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया, गुबार देखते रहे।
Lyricist: Gopal Das Neeraj
You can listen this song here:
1) "Ye Duniya Agar Mil Bhi Jaaye", Pyaasa (1965)
Lyrics:
ये महलों, ये तख्तों, ये ताजों की दुनिया
ये इन्सां के दुश्मन समाजों की दुनिया
ये दौलत के भूखे रिवाजों की दुनिया
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है
हर इक जिस्म घायल, हर इक रूह प्यासी
निगाहों में उलझन, दिलों में उदासी
ये दुनिया है या आलम-ए-बदहवासी
ये दुनिया अगर मिल भी...
यहाँ इक खिलौना है इन्सां की हस्ती
ये बस्ती है मुर्दा-परस्तों की बस्ती
यहाँ पर तो जीवन से है मौत सस्ती
ये दुनिया अगर मिल भी...
जवानी भटकती हैं बदकार बन कर
जवाँ जिस्म सजते हैं बाज़ार बन कर
यहाँ प्यार होता है व्योपार बन कर
ये दुनिया अगर मिल भी...
ये दुनिया जहाँ आदमी कुछ नहीं है
वफ़ा कुछ नहीं, दोस्ती कुछ नहीं है
जहाँ प्यार की कद्र ही कुछ नहीं है
ये दुनिया अगर मिल भी...
जला दो इसे फूंक डालो ये दुनिया
जला दो, जला दो, जला दो
जला दो इसे फूंक डालो ये दुनिया
मेरे सामने से हटा लो ये दुनिया
तुम्हारी है तुम ही संभालो ये दुनिया
ये दुनिया अगर मिल भी...तुम्हारी है तुम ही संभालो ये दुनिया
Lyricist: Sahir Ludhianvi
You can listen this song here:
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